बाल मनोविज्ञान पर आधारित इस संग्रह की कहानियां हैं। यह बात सत्य है कि प्रेरणादायक बाल साहित्य वही लिख सकता है जो बाल मनोविज्ञान के बहुत करीब हो। गंगा राम राजी का जीवन ही बच्चों में बीता है। उन्होंने बच्चों को बहुत समीप से देखा है और उसे कलमबद्ध किया है। इस संग्रह की कहानियों में बच्चों की शरारतें , उनकी जिज्ञासाएं, उनकी कल्पना का व्यवहारिक रूप कलमबद्ध है।